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A Simple Key For shiv chalisa lyrics Unveiled

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अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । अर्थ- हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में https://shiv-chalisa-lyrics-bhakt64729.tdlwiki.com/926300/shiv_chalisa_lyrics_pdf_an_overview

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